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भोजपुरी लोकगीत बिरहा जगत अंबिका गुरु घराने की उतपत्ति.....

ठाणे। भोजपुरी लोकगीत बिरहा जगत का इतिहास लगभग सौ वर्षों से अधिक समय से चलता आ रहा है,भोजपुरी बिरहा गीत उत्तर प्रदेश और बिहार कई जिलों में सुप्रशिद्ध हैं।ज्यादातर गायक बनारस,गांजीपुर,आजमगढ़,गोरखपुर, बलिया,मिर्जापुर,सुल्तानपुर,प्रतापगढ़,प्रयागराज,जौनपुर,अम्बेडकर नगर,अयोध्या,लखनऊ,क्षेत्रों से आते है। भोजपुरी बिरहा सुनने वाले लोग पूर्वाचल से लेकर पश्चिमाचल सहित विश्व के कई देशों में सुन रहे हैं,और सुप्रशिद्ध गायक कलाकार अपनी गायकी से लोगों का मनोरंजन कर रहे हैं।

बिरहा जगत में कई घराने हैं जिन घरानों के अलग अलग कवि और गायक हैं।

बिरहा गीत की नीव बिहारी गुरु से पड़ी है।बिहारी गुरु के श्रेष्ट शिष्य अंबिका तिवारी थे। उनके उपरांत बिहारी गुरु के शिष्य पत्तू,गणेश,रम्मन इत्यादि हुए।जिनमें अंबिका गुरु का अखाड़ा,पत्तू गुरु का अखाड़ा, गणेश गुरु का अखाड़ा,और रम्मन गुरु का अखाड़ा शामिल हैं।

जिला- वारणसी गांव- धरहरा के निवासी गया तिवारी के पुत्र अंबिका तिवारी,भाई दिवाकर तिवारी थे। आज वर्तमान में अंबिका गुरु के पौत्र श्री हनुमंत तिवारी गुरु से मिली जानकारी अनुसार बिरहा जगत के महान कवि अंबिका गुरु का अंतिम संस्कार 3 दिसंबर 1959 शाम चार बजे किया गया था। 

अंबिका गुरु बनारस रेलवे कैंट में बुकिंग विभाग में क्लर्क पद पर कार्यरत थे।वह रम्मन गुरु के करीबी थे।अंबिका गुरु पढ़े लिखे विद्वान थे। वह भोजपुरी बिरहा गीत व अन्य गीत के शौकीन थे।वह रम्मन गुरु से प्रभावित थे और रम्मन गुरु के अखाड़े के लिए बिरहा गीत लिखते थे।छापा में अपना नाम नहीं देकर रम्मन गुरु का नाम जोड़ते थे। रम्मन जी का जीवन संत जीवन था।रम्मन गुरु केवल संत थे।

अंबिका गुरु की लिखी हुई गीतों को रम्मन गुरु अखाड़े के गायक बड़े चाव के साथ गाते थे। लिखते लिखते कुछ समय बीत गया बिरहा परिवार बढ़ने लगा।जिसे बीच कवि अंबिका गुरु सुप्रशिद्ध हो गए और एक दिन अंबिका गुरु ने बिहारी गुरु को सिन्नी देने की बात कही उन्होंने ने कहा कि आपकी सिन्नी हम नहीं स्वीकार करेंगे। क्योंकि आप एक ब्राह्मण कुल से आते हैं।आप स्वंय पुज्यनीय हैं। हम आपसे पांव नहीं स्पर्श करा सकते हैं।अंबिका गुरु ने कहा फिर क्या करें जबाब में बिहारी गुरु ने कहा आप अपने नाम से स्वयं का अखाड़ा बनाकर चलाइये।जिसके बाद से बिरहा गीत के महान कवि गुरु अंबिका जी ने गीतों को लिखकर गायकों को देने लगे।तभी से अंबिका गुरु के नाम का अखाड़ा चलता आ रहा है और वर्तमान समय में भी चल रहा है।

अंबिकागुरु के प्रथम शिष्य बिरहा कवि हलधर(रामअधार) हुए जोकि देवगांव आजमगढ़ के थे।उनके शिष्य कवि हीरालाल यादव रामदयालगंज रामपुर के रहे,कवि सरनाथ सिंह,हलुवा नरहन गांव जिला चंदौली के थे।इनको गायक ठाकुर के नाम छापा में लगाते है। कवि रमाशंकर यादव,लालगंज आजमगढ़ थे।श्रीचन्द्र कवि एवं गायक आजमगढ़,कवि रवि शरन, रामकरण केराकत, विश्वनाथ यादव,रामप्यारे यादव टेकुरी गांव बनारस,सहदेव यादव,मूरत यादव गांजीपुर, श्रीराम यादव जौनपुर, रामा यादव,नन्दू यादव लहरतारा बनारस,गायक कलाकर राजनरायन उर्फ रज्जन खलीफा बनारस,लल्लू वस्ताद, बनारसी राम,गायक एवं कवि,श्रीराम यादव,गणेश यादव,राजनाथ यादव विधायक, लौउटू यादव,रामजी वेनबंशी,विक्रम यादव,कवि रमाशंकर उर्फ रामा यादव,बैजनाथ यादव,नन्दी गोस्वामी बनारस,बसन्तु यादव,रमाशंकर यादव,दुख्खू यादव लोहटा बनारस,रामबली यादव,ओमप्रकाश यादव,निहोरी यादव,जयराम यादव,जयश्री यादव,भोला यादव जौनपुर, रंजीत यादव गांजीपुर,दयाशंकर पाल आजमगढ़,

इन सभी के बीच अंबिका गुरु के शिवपूजन हुए जो राजस्थान पत्रिका में पत्रकार थे।शिवपूजन के पुत्र अंबिका जी पौत्र हनुमंत तिवारी बिरहा जगत में कवि हुए हैं,जोकि वर्तमान में हैं। यह सभी जानकारी हनुमंत तिवारी के मुख से वर्णित है।


हनुमान कवि के साथ अरविंद कवि जौनपुर,इंद्रदेव कवि जौनपुर,बन्धु कवि गांजीपुर,लालजी यादव गायक एवं कवि जौनपुर, शिवजगत गायक एवं कवि जौनपुर, सुरेंद्र कवि जौनपुर, जितेंद्र कवि जौनपुर,दिनेश शुक्ला (पीडी)गायक एवं कवि अम्बेडकर नगर.....


अंबिका गुरु घराने के गायक कलाकार

मुंबई व अन्य शहरों और ग्रमीण इलाकों में रहकर भोजपुरी बिरहा गीत की गायकी करने वाले गायकों के नाम इस प्रकार-रविशरन,गनपत, रामवतार,श्रीराम,चंदर, मिठाई,स्यामस्वरूप,मुंशी,कन्हैया, रामचेत यादव,लालता,अमर बहादुर मौर्य,केदार,कमला प्रसाद यादव,घुरहू,अडोकेट उदयराज यादव,लालजी यादव जौनपुर,विजयी जौनपुरी,सुनील,जगदीश,बदरू खान,राजकुमार सरोज,गोपाल सरोज,सुरेश यादव,नंदू यादव जौनपुरी,मोनू यादव,इन्द्राज यादव जौनपुर,छोटेलाल यादव,फूलचन्द यादव,अनिल कनोजिया आजमगढ़,सुरेश यादव,गोरख यादव,उदयराज यादव,राजेश यादव,सागर जौनपुरी,चंद्रशेखर यादव,रामविलास यादव,रामनवल चौहान, पतिराम चौहान,कवि बमबम यादव,श्याम प्यारे, राजबहादुर यादव उर्फ अमरदेव यादव,बद्री बेनबंशी जौनपुर,ओमप्रकाश यादव गांजीपुर,विनोद यादव,गुड्डू यादव,लालबहादुर यादव आजमगढ़, विनोद यादव,लालचंद चौहान, बेचन चौहान गांजीपुर, संतोष ,राजकुमार बलिया,सुभाष यादव,गजराज यादव,बलई मास्टर चेयरमैन, राजेश कुमार यादव नेताजी, जौनपुर बनारस,पतिराम यादव,आलोक यादव,महेश यादव चेयरमैन, रामकरण यादव,रजनीकांत यादव,हीरालाल यादव,विनोद मौर्य जौनपुर,बब्लू मिश्रा,मुमताज ढोलक वादक,महेंद्र यादव हारमोनियम वादक सहित इत्यादि बिरहा गायक कलाकार अखाड़े से जुड़े थे जुड़े हुए हैं।

गायिका-

पिंकी यादव बिहार,शकुंतला यादव जौनपुर,यह सभी जुटाई हुई जानकारी में यदि किसी प्रकार की त्रुटि हुई हो तो क्षमा करना,आप सभी अपना सुझाव हमें दे सकते हैं। संपर्क मो.8169997278    नम्बर आप सभी के लिए 24x7 उपलब्ध है।



भोजपुरी लोकगीत बिरहा जगत अंबिका गुरु घराने की उतपत्ति..... Reviewed by Dinesh Shukla on June 27, 2025 Rating: 5
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