लोकमान्य तिलक पूरे देश द्वारा स्वीकृत प्रथम नेता थे - डाॅ. सदानंद मोरे
ठाणे।ठाणे महानगर पालिका की तरफ से काशिनाथ घाणेकर नाट्यगृह में लोकमान्य टिळक के पुण्यतिथी के अवसर पर विचारमंथन कार्यकम आयोजित किया था, इस अवसर पर ठाणेकर की तरफ से मनपा आयुक्त अभिजीत बांगर द्वारा पुस्तक साल व तस्वीर के साथ सदानंद मोरे का स्वागत किया गया।
इस आयोजित कार्यक्रम में पुष्पा साहित्य संस्कृति मंडल के अध्यक्ष एवं अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन के पूर्व अध्यक्ष डाॅ. सदानंद मोरे ने स्वतंत्रता संग्राम में लोकमान्य तिलक के योगदान' पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आधुनिक भारत के इतिहास में लोकमान्य तिलक पूरे भारत द्वारा स्वीकृत पहले नेता थे।
स्वतंत्रता-पूर्व युग के दौरान, जब हमारे देश पर अंग्रेजों का शासन था, तब कई लोग थे जो कहते थे कि हमें उनके कारण सुराज्य मिला। लोकमान्य तिलक ने उनके कथन को अस्वीकार नहीं किया, परन्तु तिलक का दृढ़ मत था कि सुराज्य और स्वराज्य में अन्तर बता देने से स्वराज्य का मुखिया सुराज्य में नहीं आ जायेगा। उन दिनों आज जैसे उपकरण नहीं थे, फिर भी लोकमान्य तिलक देश के कोने-कोने तक पहुँचे। उनसे पहले इस देश में ऐसा कोई नेता नहीं था,
कांग्रेस की स्थापना 1885 में व्युम नामक ब्रिटिश अधिकारी ने की थी। सेना में जो कुछ हुआ था उसकी पुनरावृत्ति को रोकने के लिए कांग्रेस का गठन किया गया था। इस कांग्रेस अधिवेशन में हम सरकार से क्या चाहते थे, इस पर चर्चा कर वक्तव्य तैयार किये गये और उन्हें सरकार को दिया गया। इस कांग्रेस में अधिकांश नेता नरम विचारधारा वाले नेता थे। तिलक ने इसे स्वीकार नहीं किया। सूरत अधिवेशन में जब मावल और जाहल विचारकों में इस बात पर टकराव हुआ तो तिलक को कांग्रेस से निष्कासित कर दिया गया। तिलक कांग्रेस से निकाले जाने वाले पहले नेता थे। लेकिन उन्होंने कांग्रेस नहीं छोड़ी. उन्होंने निश्चय कर लिया कि एक दिन वे इस कांग्रेस के सर्वोच्च नेता बनेंगे।
तिलक के नेतृत्व के असंख्य पहलू हैं। स्वतंत्रता संग्राम में डॉ. महात्मा गांधी का नेतृत्व खड़ा हुआ और गांधी युग की शुरुआत हुई लेकिन हमें यह समझना चाहिए। सदानंद मोरे ने फैन्स के सामने तिलक से लेकर गांधी तक के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास का खुलासा किया.
इस अवसर पर मनपा अपर आयुक्त 1 संदीप मालवी, अपर आयुक्त 2 प्रशांत रोडे उपस्थित थे साथ ही वरिष्ठ पत्रकार मिलिंद बल्लाल, साहित्य अकाडमी के सदस्य नरेंद्र पाठक, कवयित्री अनुपमा उजगरे, लेट्स रीड इंडिया मूवमेंट के संस्थापक प्रफल वानखेड़े, ठाणे भारत सहकारी बैंक के अध्यक्ष शरद गांगल, मराठी पुस्तक संग्रहालय के अध्यक्ष विद्याधर ठाणेकर, ठाणे लघु उद्यमी संघ के पदाधिकारी शिशिर जोग इस व्याख्यान में विद्या प्रसारक मदाला,डॉ. महेश बेडेकर, साहित्यकार मकरंद जोशी सहित बड़ी संख्या में ठाणेकर प्रेमी उपस्थित थे।
