दिवाली पर बिक्री के लिए उपलब्ध मानसिक बीमार मरीजों द्वारा बनाई गई विभिन्न बस्तुएं
कई लोगों को लगता है कि जब वे किसी मनोरोगी को देखते हैं तो वे आगे कुछ नहीं कर सकते। परिवार में मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति का होना परिवार के लिए बहुत कठिन है। लेकिन ठाणे प्रादेशिक मनोरोग अस्पताल में कहीं न कहीं इस समस्याओं से निपटने की कोशिश की जा रही है।
अस्पताल में इस पर सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित कई लोगों का इलाज किया जाता है। लेकिन इलाज के साथ-साथ मरीजों के आंतरिक कौशल को भी खोजने का प्रयास किया जाता है। ऐसा देखा जाता है कि उत्सव के दौरान आवश्यक वस्तुओं को तैयार करने से मनोरोगी व्यक्ति के कौशल का विकास होता है। दिवाली बस कुछ ही दिन दूर है। इसलिए अस्पताल अधीक्षक डाॅ. नेता जी मुलीक के मार्गदर्शन में विशेषज्ञ डॉ.हेमांगिनी देशपांडे ने बताया कि व्यावसायिक चिकित्सा पद्धति से मानसिक रोगियों द्वारा दिवाली की विभिन्न वस्तुएं तैयार की जा रही हैं।
व्यावसायिक चिकित्सा पद्धति रोगियों की शारीरिक एवं बौद्धिक क्षमता को बढ़ाने में मदद करती है। इसलिए पूरे साल मरीजों को वस्तुएं बनाना सिखाया जाता है। ताकि इस लाभ से मानसिक रूप से बीमार लोगों को अपने पैरों पर खड़ा होने में मदद मिल सके। दिवाली के दौरान धारावी से मालाएं, दीपक आदि वस्तुएं लाई जाती हैं और रोगी को इन वस्तुओं को आकर्षक रंग देना सिखाया जाता है। अब तक लगभग 1000 पनात्या, 200 ऊँन बटुआ, फूल, ऊनी तोरण, लालटेन, झण्डे आदि का प्रशिक्षण दिया जा चुका है। इसके लिए व्यावसायिक चिकित्सक डॉ. हेमांगिनी देशपांडे,डॉ. जानवी केर्जकर, डाॅ. प्राजक्ता मोरे, साथ ही प्रशिक्षक भक्ति तांडलेकर, परिचारक नम्रता मालेकर और प्रफुल्लता गावित आदि अथक परिश्रम कर रहे हैं।
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व्यावसायिक चिकित्सा रोगी को हाथ-आंख और मस्तिष्क समन्वय, संज्ञानात्मक क्षमता, एकाग्रता, आत्मविश्वास में सुधार करने में मदद करती है। मरीजों को उनकी रुचि को लक्ष्य कर विभिन्न वस्तुएं बनाना सिखाया जाता है, जो भविष्य में मरीजों के काम आएंगी। अस्पताल का प्रयास मानसिक रूप से बीमार लोगों को जल्दी ठीक होने और समाज की मुख्यधारा में फिर से शामिल होने में मदद करना है।
डॉ.नेताजी मुलीक(अधीक्षक, ठाणे क्षेत्रीय मनोरोग अस्पताल)
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मनोरोग अस्पताल में मनोरोगियों को मानसिक रूप से सक्षम बनाने के लिए विभिन्न गतिविधियाँ की जा रही हैं। निःसंदेह, इससे मरीज का मनोबल बढ़कर उसे आत्मनिर्भर बनने में मदद मिल रही है। विभिन्न वस्तुओं को बनाने का उन्हें प्रशिक्षण दिया है। यह अति सराहनीय व्यवस्था की गई है।
अजीत शर्मा (मरीज के रिश्तेदार, ठाणे)
