जीवन में कर्म के साथ अध्यात्म का जुड़ना भी जरूरी- राज्यपाल रमेश बैस
इस अवसर पर ठाणे कलेक्टर अशोक शिंगारे, मीरा-भाईंदर कमिश्नर संजय काटकर, आचार्य महाश्रमण, साध्वी विश्रुत विभा, मुनिवर महावीर कुमार, साध्वी वारिया संबुद्ध यशा, तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज ओस्तवाल, मुख्य ट्रस्टी चंद्रेश बाफना, गजराज पगारिया, सुशील अग्रवाल, व्यापारी नेता, चार्टर्ड अकाउंटेंट, कंपनी सचिव, व्यवसायी, उद्यमी आदि उपस्थित थे।
आगे राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि मै आचार्य श्री महाश्रमण जी अपने चातुर्मास के लिए महाराष्ट्र को चुनने के लिए उन्हें विशेष रूप से धन्यवाद देता हूं। हम सभी भाग्यशाली हैं आज आचार्य महाश्रमण हमारे बीच हैं। यद्यपि वे एक धार्मिक संस्था के आचार्य हैं,और उनके विचार उदार एवं धर्मनिरपेक्ष हैं। उन्होंने जनता को शिक्षित करने के लिए 3 देशों और 23 राज्यों की पैदल यात्रा की है।
यह संगठन नशामुक्ति के लिए 'अहिंसा यात्रा' के माध्यम से नैतिकता और सद्भावना को प्रेरित करता है, जो एक विशिष्ट राष्ट्रीय कार्य है। उन्होंने कहा कि मैं संस्था की कड़ी मेहनत और तपस्या को सलाम करता हूं, उन्होंने कहा, आमतौर पर देखा जाता है कि अच्छी शिक्षा, अच्छा व्यवसाय में सफलता पाने के बाद लोग धार्मिक कार्यों से मुंह मोड़ लेते हैं। जीवन में कर्म के साथ अध्यात्म का जुड़ना भी जरूरी है।
उन्होंने कहा कि हमारे सभी धर्मग्रंथ और पुराण हमें बताते हैं कि मानव जीवन हमारे लिए ईश्वर का सर्वोत्तम उपहार. हम सभी को छोटे-छोटे संकल्पों के माध्यम से आत्म-विकास, सामाजिक विकास और राष्ट्रीय विकास में योगदान देने की जरूरत है ।
